Friday, February 4, 2011

अक्सर याद बहुत तुम आती हो (कविता)


payal1
यादों में जब तुम आती हो
रुनझुन पायल छनकाती हो
खुशियों का मन गूंजे नगमा
हाथों कंगना खनकाती हो

याद जो आये घड़ी मिलन की
मेहंदी रंग सजाती हो
आहिस्ता आगोश में भरकर
चुनरी में शरमाती हो

स्याह, अँधेरी, धुंध अमावस
बिंदिया सी चमकाती हो
दिल के बंजर सूनेपन में
काजल बन बह जाती हो

ज़िक्र जो आये नूर का तेरे
लाली सी छा जाती हो
भीड़ भरी इस तन्हाई में
आँचल बन लहराती हो

अक्सर याद बहुत तुम आती हो
मीठा सा दर्द जगाती हो

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