Wednesday, September 22, 2010

जीवन में कुछ सपने पाल

जीवन में कुछ सपने पाल
सपनों को कुछ दाना डाल
चुगने दो आस के पंछी को
उड़ने दो आस के पंछी को
उम्मीदों का दामन थाम
कुछ पल करके विश्राम
हो जा फिर सावधान
सपनों को सच में बदलने को
करते रहो सतत् काम-धाम
कैसी भी हार हो
चाहे कितनी बार हो
करते रहो उद्यम
और सपनों से दो चार हो
चाह है तो राह है
राह है तो मंजिल है
हर थकान में आस ही
क मात्र छाँव है।

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