Tuesday, September 28, 2010

"आराम कर"

                  "आराम कर"
अपनी राह खुद ही तू आसान कर
खुदा के लिए खुद पर यह एहसान कर
तू जिसे चाहता, उसे चाहता नहीं
इस झूठ से न खुद को परेशान कर
एक चाहत एक  मकसद इक जनून 
बस उसी को दिल में मेहमान कर
इश्क मांगे कदम  कदम  कुर्बानियां
कुछ देर को कुछ लज्ज्त्तें  कुर्बान कर
आराम- तलबी हर दिल अज़ीज़ी  छोड़ दे
इक काम कर हो सके तो काम कर
राह में उसकी  अगर हैं मुश्किलें
तो तेज़ चल, जाकर वहीँ आराम कर
हर लम्हा  जिसको कहता है तू जिंदगी
जिंदगी को बस उसी के नाम कर
"पंडित" की इस राह में वक्कअत नहीं
वो सादा है, तू सादगी से कायम कर |

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